ओमर अब्दुल्ला ने नए मंत्रिपरिषद के साथ कश्मीर-जम्मू संबंधों को सुधारने की कोशिश की

ओमर अब्दुल्ला ने नए मंत्रिपरिषद के साथ कश्मीर-जम्मू संबंधों को सुधारने की कोशिश की
ओमर अब्दुल्ला ने नए मंत्रिपरिषद के साथ कश्मीर-जम्मू संबंधों को सुधारने की कोशिश की

जम्मू-कश्मीर में नई शुरुआत: ओमर अब्दुल्ला की मंत्रिपरिषद और सामंजस्य का प्रयास

16 अक्टूबर 2024 को ओमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। यह क्षण न केवल उनके राजनीतिक करियर के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इस क्षेत्र के लिए भी एक नई दिशा को दर्शाता है। 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर में कई परिवर्तन हुए हैं, और ओमर अब्दुल्ला की सरकार का गठन इस संदर्भ में सामंजस्य और पुनर्मिलन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

भाजपा का बढ़ता प्रभाव

पिछले चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जम्मू क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत की, जहाँ उसके वोट शेयर ने नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) को पीछे छोड़ दिया। जम्मू की 43 सीटों में से भाजपा ने 29 सीटें जीतीं, जो दिखाता है कि वहाँ के मतदाता ने भाजपा के लिए अपने समर्थन का प्रदर्शन किया। इस चुनावी परिदृश्य में ओमर अब्दुल्ला ने जो मंत्रिपरिषद बनाई है, वह न केवल सांस्कृतिक और धार्मिक मतभेदों को पाटने की कोशिश कर रही है, बल्कि भाजपा के प्रति भी एक सकारात्मक संदेश भेज रही है।

मंत्रिपरिषद की संरचना

नवगठित मंत्रिपरिषद में 10 मंत्री पद हैं, जिसमें मुख्यमंत्री भी शामिल हैं। शपथ ग्रहण समारोह में, जिन छह विधायकों ने शपथ ली, उनमें तीन जम्मू क्षेत्र से और तीन कश्मीर क्षेत्र से थे। इस मंत्रिपरिषद में दो गैर-मुस्लिम और एक प्रमुख मुस्लिम नेता को शामिल किया गया है। यह संरचना स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि ओमर अब्दुल्ला अपनी सरकार में विविधता और समावेशिता को प्राथमिकता दे रहे हैं।Omar Abdullah used politics to cover his radical ideology: Public Safety  Act dossier - The Hindu

सामंजस्य और पुनर्मिलन की दिशा

ओमर अब्दुल्ला ने अपने पूर्ववर्ती आक्रामक रुख को छोड़कर सामंजस्य की दिशा में कदम बढ़ाया है। उनका यह प्रयास निश्चित रूप से जम्मू-कश्मीर में स्थिरता और विकास को बढ़ावा देने में मदद करेगा। उन्होंने अपने मंत्रिमंडल में जम्मू के चेहरे को शामिल कर यह दिखाया है कि वह क्षेत्र की विविधता को मान्यता देते हैं और सभी समुदायों के बीच बेहतर संबंध स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

अब्दुल्ला की योजना न केवल जम्मू और कश्मीर के बीच संबंधों को सुधारना है, बल्कि वह राज्य के विकास और शांति को भी प्राथमिकता दे रहे हैं। नए मुख्यमंत्री ने संकेत दिया है कि अगले चरण में जम्मू और श्रीनगर के बीच सालाना राजधानी के स्थानांतरण को बहाल करने पर भी विचार किया जाएगा, जिससे दोनों क्षेत्रों के बीच एकता और संबंध को बढ़ावा मिलेगा।

नए दृष्टिकोण की आवश्यकता

जम्मू-कश्मीर के लिए नए दृष्टिकोण की आवश्यकता है, और ओमर अब्दुल्ला के इस कदम से यह संभव हो सकता है। उनके नेतृत्व में, सरकार को चाहिए कि वह न केवल राजनीतिक मुद्दों का समाधान करे, बल्कि सामाजिक और आर्थिक विकास पर भी ध्यान केंद्रित करे। जम्मू-कश्मीर में भौगोलिक और सांस्कृतिक विविधता के चलते, एक समावेशी नीति अपनाना आवश्यक है, जिससे सभी समुदायों को समान अवसर मिल सकें।Congratulating Omar Abdullah | The 14th Dalai Lama

अंतिम विचार

ओमर अब्दुल्ला का मुख्यमंत्री बनना जम्मू-कश्मीर की राजनीति में एक नया अध्याय है। उनकी मंत्रिपरिषद की संरचना और सामंजस्य के प्रति उनकी प्रतिबद्धता इस बात का संकेत है कि वह क्षेत्र के विकास और स्थिरता के लिए एक ठोस आधार तैयार करने के लिए तैयार हैं।

इस दिशा में आगे बढ़ते हुए, उन्हें स्थानीय मुद्दों का समाधान करते हुए सभी समुदायों के साथ संवाद स्थापित करने की आवश्यकता है। जम्मू-कश्मीर की भलाई के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि सरकार सभी पक्षों के हितों का ध्यान रखे और एक ऐसा वातावरण बनाए जिसमें सभी लोग समर्पित होकर मिलकर काम कर सकें।

ओमर अब्दुल्ला की यह नई शुरुआत न केवल राजनीतिक स्थिरता की प्रतीक है, बल्कि यह एक ऐसा संकेत भी है कि जम्मू-कश्मीर एक नई दिशा की ओर बढ़ रहा है, जहाँ विभिन्न समुदायों के बीच सहयोग और सामंजस्य स्थापित हो सकता है।

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